जब भी हमारे कानों पर पिता शब्द की आवाज पड़ती है तो हमारे मन में पिता की छवि मजबूत, अनुशासनप्रिय और स्नेहिल व्यक्ति की तरह उभरती है। यही पिता एक परिवार की नींव होता हैं, एक पिता के बिना हर परिवार अधूरा दिखता है। हर परिवार में माँ जो ममता और करुणा की मूर्ति के रूप में होती हैं, वहीं पिता उस परिवार के लिए सुरक्षा और अनुशासन के रूप में होता हैं।
यह पिता अपनी संतान के लिए जिंदगी भर अनगिनत त्याग करता हैं, इसके साथ यह कई कठिनाइयों को सहने की क्षमता रखता हैं, लेकिन यह कभी भी शिकायत नहीं करते। पिता का प्रेम अक्सर अल्पवक्तव्य होता है, जो कभी भी जाहिर नहीं करता है लेकिन यह प्रेम उतना ही गहरा और अटूट होता है |
पिता का जीवन में महत्त्व
परिवार में पिता जो केवल एक रिश्ते का नाम नहीं, बल्कि यह जिम्मेदारी, त्याग और प्रेरणा की तरह अनेक रूप में हैं। यह पिता अपने बच्चों को सिर्फ आर्थिक सुरक्षा प्रदान नहीं करता है,यह इन बच्चों को नैतिक शिक्षा भी देने का काम करता है, यह जीवन के विभिन्न मूल्यों से भी परिचित कराने का काम करता है। इसी पिता के व्यक्तित्व का प्रभाव बच्चों के जीवन पर प्रभाव डालता है।
पिता का संतान के जीवन में महत्व
पिता ही अपने बच्चों के पहले शिक्षक के रूप में होता हैं, जो सिर्फ सही और गलत का भेद सिखाते हैं बल्कि जीवन का असली मूल्य भी बताता है | इस पिता के विभिन्न रूप जो अपनी संतान के जीवन में होते है , यह देख सकते है -
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संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में पिता - पिता जो अपने बच्चों के पहले नायक हैं। यह समय हर संकट में संतान के साथ खड़े रहते हैं और इन बच्चों की रक्षा करने का काम करता हैं। पिता सिर्फ घर की आर्थिक ज़रूरतों का ध्यान नहीं रखता है, इसके साथ अपने बच्चों के साथी के रूप में सही रास्ता भी दिखाता है | यह पिता बच्चों को सही दिशा और इनको जीवन में आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा देने का काम करता है |
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अनुशासन और प्रेरणा के रूप में पिता - पिता जो अपनी संतान को अनुशासन और आत्मनिर्भरता की भावना को विकसित करने का काम करता हैं। यह पिता अपने बच्चों को जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का समाने करने के लिए शिक्षा देता है और इनको मजबूत बनाता है | यह अपने बच्चों को शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखता, बल्कि यह अपने जीवन के विभिन्न अनुभवों से बच्चों को शिक्षा देता है |
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संघर्ष और त्याग के रूप में पिता - पिता का अपने जीवन में बच्चों के लिए सबसे बड़ा बलिदान है वह है त्याग | अपने बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए यह सब कुछ त्याग सकता है | इस त्याग के लिए यह अपना जीवन तक भूल जाता है | अपनी मेहनत को दिन - रात लगा देता है | यह पिता अपनी खुद की कितनी भी खुशियां, सपने, इच्छाएँ अधूरी छोड़ देता है और यह अपने बच्चों की खुशी के लिए जीवन भर मेहनत करता है | यह त्याग और एक पिता का संघर्ष जो इन बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ शिक्षा का काम करती है | हर बच्चे के जीवन में एक पिता का त्याग और संघर्ष ही सबसे बड़ा बलिदान है | इसका दूसरा नाम पिता है |
पिता और संतान का रिश्ता
पिता और संतान का रिश्ता हमेश अपनी माँ के रिश्ते की तरह कम भावनात्मक देखा जाता है, लेकिन यह जो देखा जाता है, सच नहीं है। हर पिता अपने बच्चों से हमेशा गहरा लगाव रखता हैं लेकिन यह पिता अपनी भावनाओं माँ की तरह खुलकर नहीं करता है | हर पिता की यह सख़्ती, अपनी संतान के प्रेम को छिपाने का काम करती है |
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पिता की भूमिका - बचपन में पिता हर बच्चे के लिए सबसे बड़ा आदर्श होता हैं। यह बच्चा अपने पिता के कंधे पर बैठकर दुनिया देखने का आनंद लेता है। पिता अपने बच्चों के खेल में भागीदार बनने का काम करता हैं, अपने बच्चों की छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करता हैं | अपने रिवाज और विभिन्न प्रकार की रीतियों के बारे में बताता है | ताकि इस बच्चों को सभी जानकारी मिल सके |
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किशोरावस्था में पिता का मार्गदर्शन - जब बच्चे किशोरावस्था में प्रवेश कर जाते हैं, तो उस समय बच्चा विभिन्न मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरते हैं। इस परिवर्तन के समय पिता का मार्गदर्शन होना बहुत जरूरी है। पिता अपने बच्चों आत्मविश्वास, आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बनाने का काम करता हैं | इस समय बच्चा विभिन्न परिस्थतियों से गुजरता है, उनको सही और गलत का निर्णय लेने के लिए समझदार बनाता है, ताकि यह बच्चा अपना निर्णय लेने में शक्षम हो |
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युवावस्था में पिता का सहारा - जब संतान बड़ी होकर अपनी ज़िंदगी के निर्णय अपने आप लेने लगती है, तब पिता उनके सबसे बड़े सलाहकार के रूप में एक सहारा बन कर जीवन को सरल करता है और उनका हर काम आसान बनाने का काम करता है | सबसे महत्वपूर्ण है करियर, जो हर बच्चा सही रास्ता चुन नहीं सकता | इसके अलावा देखे तो उनका विवाह, सही हमसफ़र को चुनना, बहुत ही मुस्किल होता है | उस समय पिता की सलाह काम आती है | जीवन के विभिन्न मोड पर जहां एक बच्चा निर्णय नहीं ले पाता है उस समय उसके पिता एक देवता के रूप में सलाह देते है और वह बच्चा हर मोड को जीत लेता है | सिर्फ जितना ही उस मोड के लिए नहीं है बल्कि उसके आगे के रास्ते पर पिता की सलाह काम करेगी |
वर्तमान समाज में पिता की भूमिका
जिस तरह समाज समय के साथ बदलता है लेकिन एक पिता का प्यार और अपने परिवार तथा संतान के लिए हमेशा एक जैसा रहा है, यह कभी भी नहीं बदला है | समाज में पिता परिवार की निर्णायक भूमिका निभाता है | पिता के नाम से ही बच्चों को समाज में जाना जाता है | इस समाज के विभिन्न रीति - रिवाज जो बच्चा अपने पिता के अनुभवों से जानता और इसी के अनुभवों से बच्चा अपने मूल्यों से समाज को एक सशक्त आधार प्रदान करने का काम करता हैं। इस लिए बच्चे का समाज को समझने के लिए पिता का होना जरूरी है और पिता के बिना एक पूरा समाज भी नहीं बनता है |
निष्कर्ष
पिता का स्थान हर बच्चे के जीवन में अद्वितीय और अमूल्य होता है। हर बच्चे के जीवन की एक मजबूत दीवार हैं, जो किसी भी परिस्थति गिर नहीं सकती | एक पिता की छाया में हमारा पूरा अस्तित्व टिका हुआ होता है। हर बच्चों को अपने जीवन में पिता के योगदान को समझना बहुत जरूरी है और अपने पिता के प्रति हमेशा सम्मान और प्रेम बनाए रखना। इस पिता के संघर्ष, त्याग, बलिदान आदि के सहारे ही हर बच्चा का जीवन खुशियों से भरा होता है |


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